कार्रवाई का असर : मार्केट में मावे की किल्लत, व्यापारियों ने 68 रुपए भाव बढ़ाए, तर्क दिया- शुद्ध तो महंगा ही मिलेगा

खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने उन्हेल के खजूरिया खाल के अश्विन ट्रेडर्स पर जांच की तो यहां 100 किलो मावा व 3000 लीटर दूध मिला। रात 11 बजे के बाद फैक्टरी चालू कर मावा तैयार किया जा रहा था। टीम ने मावे व दूध के सैंपल लिए हैं। फूड सेफ्टी अधिकारियों का कहना है मिलावट करने वाली सामग्री नहीं मिलने से पूरा मावा व दूध जब्ती में नहीं लिया है, केवल सैंपल लिए हैं। सैंपल को राज्य प्रयोगशाला भोपाल भेजा है। रिपोर्ट में दूध व मावे में मिलावट पाई जाती है तो व्यापारी पर कार्रवाई होगी। दूसरी तरफ मार्केट में मावे का शार्टेज होने लगा तो मावा बाजार में व्यापारियों ने मावे के दाम 68 रुपए तक बढ़ा दिए। व्यापारी ग्राहकों को स्पष्ट कर रहे हैं कि वह मावा नहीं है, यह तो महंगा ही मिलेगा यानी वनस्पति मिला मावा सस्ते में बेच रहे थे, मावा का प्रमुख उत्पादन केंद्र उन्हेल में फैक्टरियों पर कार्रवाई के बाद से वनस्पति मिलाकर बनाए जाने वाला मावा बंद हो गया है। मावे के दाम गुरुवार तक 172 रुपए किलो था, जो शुक्रवार को 240 रुपए कर दिए गए। रतलाम व अन्य शहरों की तुलना में ज्यादा है। रतलाम में 220 रुपए व जावरा में 200 रुपए किलो में मावा बेचा जा रहा है। त्योहारों पर लोगों पर इसका भार पड़ेगा। हालांकि जिला प्रशासन ने मावे की हर दुकान पर जांच की बात कही है तथा मूल्य नियंत्रण किया जाएगा।

138 में से 24 सैंपल फेल

एक साल में विभाग ने दूध, मावा, पनीर व घी के 138 सैंपल लिए थे। जिसमें दूध के 82 सैंपल में से 13 के फेल हुए। मावे के 10 में से 3, घी के 18 में से एक तथा पनीर के 3 में से 2 सैंपल फेल हुए हैं। इसके अलावा 25 अन्य सैंपल में से 5 के सैंपल फेल हुए। अभी पांच दिन में 9 सैंपल लिए, जिन्हें जांच के लिए राज्य प्रयोगशाला भेजा है। इनकी रिपोर्ट आना शेष है।

फूड सेफ्टी अधिकारियों ने मावा फैक्टरी की जांच की

उन्हेल से इंदौर, धार सहित मुंबई तक भेजा जा रहा मावा

उन्हेल और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में मावा बनाया जा रहा है। यहां का मावा गुणवत्ता के लिए जाना जाता है और इंदौर, धार व महू तथा मुंबई तक मावा भेजा जाता है। मावे की जांच शुरू हुई तो व्यापारियों ने मावा तैयार करना बंद कर दिया। ऐसे में यह भी सवाल खड़े हुए हैं कि जब व्यापारी शुद्ध मावा तैयार कर रहे हैं तो उन्होंने मावा बनाना बंद क्यों कर दिया।

शहर में मुरैना से भी आ रहा दो से तीन क्विंटल मावा

मुरैना से भी मावा उज्जैन आता है। यहां का दो से तीन क्विंटल मावा उज्जैन में सप्लाई होता है। बस या ट्रेन के माध्यम से मावा व्यापारियों द्वारा भेजा जाता है। कुछ दिन पहले ही आगर रोड पर मिलावटी मावा पकड़ाया था, जो कि उन्हेल का पाया गया था तथा देवासगेट बस स्टैंड पर मुरैना का मावा पाया था, वह भी मिलावटी था।

शहर में रोज 20 से 25 क्विंटल मावे की खपत

उज्जैन में 35 से 40 क्विंटल मावा तैयार होता है, जिसमें से 20 से 25 क्विंटल मावे की खपत रोजाना जिले में होती है। एक क्विंटल घी व एक लाख लीटर दूध की खपत यहां होती है। दूध का उत्पादन दो से ढाई लीटर दूध का उत्पादन होता है, जिसमें से एक से डेढ़ लाख लीटर दूध देवास की फैक्टरियों में भेजा जाता है तथा एक लाख लीटर दूध की उज्जैन में खपत हो जाती है।

सिंथेटिक दूध में यह सामग्री उपयोग की जाती

रिफाइंड आॅइल, मिल्क पाउडर, ग्लूकोज पाउंड व न्यूट्रीलाइफ का कैल्शियम, माल्टो डेक्सट्रिन पाउडर, बेकरी प्रीमिक्स पावडर, सोडियम सिट्रेट व कास्टिक सोडा जैसे पदार्थ उपयोग कर सिंथेटिक दूध बनाया जाता है। हालांकि उज्जैन में अब तक कम फेट वाला दूध के मामले ही सामने आए हैं। रिपोर्ट आने पर ही मिलावट की जानकारी सामने आ सकेगी।

शुद्ध घी में वनस्पति मिलाकर बना रहे देसी घी

वनस्पति से शुद्ध देशी घी बनाया जाता है। हाल ही में फूड सेफ्टी अधिकारियों की टीम ने घी की फैक्टरी पर जांच की तो वनस्पति भी मिला था, जिससे यह शंका पुख्ता हो गई है कि शुद्ध घी में वनस्पति मिलाकर बनाया जाता है। यहां मिला घी को फूड सेफ्टी अधिकारियों ने जब्ती में लेकर वापस व्यापारी के सुपुर्द कर दिया है। राज्य प्रयोगशाला भोपाल से रिपोर्ट आने तक उसे यह घी सुरक्षित रखना होगा। अभी रिपोर्ट आना बाकी है।

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